Sat. Sep 21st, 2024

न्यायालय की रिपोर्टिंग करते समय पत्रकारों को अब ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता,अभियोजन अधिकारी श्री बांके,,

खंडवा ।। न्यायालय के आदेश और निर्णय की रिपोर्टिंग करते समय पत्रकारों को ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है। जानकारी के अभाव में पत्रकार अपनी रिपोर्टिंग में ऐसे तथ्यों का समावेश कर देते हैं। जिससे पीड़ित पक्ष को न्याय मिलने और आरोपित पक्ष को अपना बचाव करने के मौके मिल जाते हैं। खासकर महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों में पत्रकारों को पीड़ित पक्ष की किसी भी तरह से पहचान उजागर नहीं करना चाहिए। यह बात कर्मवीर विद्यापीठ में पत्रकारिता के छात्रों के लिए आयोजित विशेष व्याख्यान में सहायक लोक अभियोजन अधिकारी हरिप्रसाद बांके ने कही, समाजसेवी व पत्रकार सुनील जैन ने बताया कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के खंडवा परिसर “कर्मवीर विद्यापीठ” में पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के लिए विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया, न्याय दान में लोक अभियोजन अधिकारी की भूमिका और न्यायालयीन आदेश और निर्णयों की रिपोर्टिंग में सतर्कता विषय पर सहायक लोक अभियोजन अधिकारी हरिप्रसाद बांके ने एक जुलाई 2024 से लागू तीन नए कानून के संदर्भ में विद्यार्थियों को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के बारे में विस्तार से बताते हुए श्री बांके बताया कि नया कानून दंड के बजाए पर न्याय केंद्रित है। इन कानूनों के लागू होने के बाद तुरंत न्याय प्राप्त करने की संभावना बड़ी है। इन कानून में पुलिस इन्वेस्टिगेशन से लेकर आरोप पत्र दाखिल होने तक प्रत्येक चरण में विशेष प्रावधान किए गए हैं। साथ ही समय सीमा भी तय की गई है। न्याय की प्रक्रिया में डिजिटल कम्युनिकेशन को भी महत्वपूर्ण अंग माना गया है। आतंकवाद, राजद्रोह और मॉब लिंचिंग जैसे अपराधों के बारे में भी विशेष प्रावधान किए गए हैं।


श्री बांके ने बताया कि इन कानूनों में महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित अपराधों के लिए विशेष और कठोर दण्ड के प्रावधान किए गए है। साथ ही तुरंत न्याय मिलने के लिए समय सीमा भी तय की गई है। बांके ने बताया कि महिलाओं एवं नाबालिग बच्चों से संबंधित अपराध के मामले में रिपोर्टिंग करते समय पत्रकारों को विशेष सावधानी बरतनी की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह से पीड़ित पक्ष की पहचान उजागर नहीं होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए पहले ही दिशा निर्देश तय किए हैं। यदि रिपोर्टिंग के दौरान इन निर्देशों का उल्लंघन होता है तो पत्रकारों को भी न्यायालयीन प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है,विशेष व्याख्यान के अंत में श्री बांके ने विद्यार्थियों की जिज्ञासा से संबंधित प्रश्नों के जवाब भी दिए। इस अवसर पर विद्यापीठ के प्रभारी निदेशक प्रो. डॉ. मनोज निवारिया, अतिथि शिक्षक डॉ. प्रमोद सिन्हा,आसिफ सिद्धिकी , हर्ष उपाध्याय , निशात सिद्धिकी ,जितेंद्र यादव , प्रांजल सुहानी, पूजा पाटीदार, ओम प्रकाश चौरे एवं सहयोगी स्टाफ मौजूद था । कार्यक्रम के अंत में विद्यापीठ की ओर से श्री बांके को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।

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