Thu. Sep 12th, 2024

जावर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा गणगौर उत्सव।

जवारों को ही देवी स्वरूप मानकर दर्शन-पूजन पूजा अर्चना की जाती है।

खंडवा।। जावर क्षेत्र में भी गणगौर पर्व बड़े धूमधाम और हर्ष उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आज जावर मार्केट में धनियर राजा और रणु देवी को पानी पिलाने पूरा गांव एकत्रित हुआ। सरपंच अमित मालवीय जनपद सदस्य प्रतिनिधि दीपक यादव शिवराम माडे राजू सातले आनंद यादव सहित ग्रामीणों के सहयोग से प्रसादी का वितरण भी किया गया। कल माताजी को पूरे गांव में भ्रमण कराने के बाद बड़ी माता मंदिर के पास नवनिर्माण गणगौर घाट पर लाया जाएगा। जहां से गिट्टी खदान के कालू फव्वाजी‘के द्वारा रक्त बवढ़ाए जाएंगे और पूरे गांव का भंडारा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि 20-25 साल पूर्व से वह बीमार थे और भंडारे की उनकी एक मन्नत थी जो वह पूर्ण कर रहे हैं। पंडित बलिराम जी भटोरे और अरुण पंडित जी द्वारा पूजा पाठ कराई जा रही है।

गणगौर’ पर्व मध्यप्रदेश का लोक महोत्सव है। निमाड़ी बोली में गौर का अर्थ सखी या सहेली होता है। और गण अर्थात् लोक। यही आश्य है इस पर्व का। यह लोक की सखी रना देवी है। निमाड़ी में देवी या मां को बाई कहते हैं। इसलिए रना देवी को रनुबाई कहते हैं। रनुबाई के पति देव धनियर राजा हैं। इन्हें लोकगीतों में रनुबाई और धनियर राजा, गौरबाई-ईश्वर राजा, लछ्मीबाई-विष्णु राजा, सईतबाई-बिरमा राजा, रोहेणबाई-चंद्रमा राजा कहा जाता है। गणगौर पर्व देवी का लोकानुष्ठानिक पर्व है, जो चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दसमीं से चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तक नौ दिन बड़ी आस्था से मनाया जाता है। इस पर्व में देवी का रूप लोक जैसा सरल, सहज और सरस होता है। शास्त्रोक्त पद्धति से मंत्रोच्चार कर जिस प्रकार देवी या शक्ति का आव्हान किया जाता है, ऐसी ही पूजा के विभिन्न चरणों के लिए विविध लोक गीत गाकर यह पर्व मनाया जाता है। गणगौर पर्व प्रारंभ होता है जवारे बोने के साथ। लोकगीत गाकर कुरकई (बांस की छोटी टोकरी) में मिट्टी में गेहूं बोते हुए महिलाओं द्वारा ही देवी का आव्हान किया जाता है। देवी की आराधना का संपूर्ण विधान लोकाचार के दर्शन कराता है। छोटी टोकनियों में प्रकट जवारे ही देवी का प्रत्यक्ष दर्शन कहलाते हैं।

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