जावर।। पहले जिन कुओं की पूजा की जाती थी, हजारों लोगों की प्यास बुझती थी अब उनही कुओं में कचरा फेंका जाता है। नल-जल योजना, जगह-जगह हैंडपंप और घरों में बटन चालू करते ही पानी की सुविधा मिलने से लोग कुओं और बावड़ियों को भूलते जा रहे हैं। इनमें कचरा फेंकने से जल स्रोत भी बंद हो रहे हैं।
80 के दशक में गांव में न ज्यादा हैंडपंप थे और न ही नलकूप और न ही किसी प्रकार की कोई अन्य जल प्रदाय की व्यवस्था। ऐसे में गर्मी के दिनों में ग्राम वासियों के पानी का मुख्य स्रोत कुएं और बावड़ियां ही थे। कुएं और बावड़ियों से ही लोगों को अपने लिए पानी की व्यवस्था करनी पड़ती थी। साल भर जल प्रदाय कराने वाले यह कुएं और बावड़ियां ग्रामीणो की उपेक्षा और लापरवाही के परिणामस्वरूप अपना मूल रूप खोती चली गई। अब स्थिति यह है कि वर्ष भर पानी देने वाले इन जल स्रोतों में से अधिकांश कुएं और बावड़ी कचरा घर के रूप में बदलकर रह गए हैं। ऐसा ही एक हुआ जावर बाजार में स्थित है जो कचरा घर बन चुका है। हमेशा ही वहां से दुर्गंध आती रहती है एवं बीमारियों का खतरा भी बना हुआ है। ग्रामीणों की शिकायत पर ग्राम पंचायत जावर सरपंच श्री अमित मालवीय ने निर्णय लिया की कुए को बंद कर वहा मंदिर का निर्माण किया जाएगा जिसका आज पंडित रजनीश भटूरे द्वारा भूमि पूजन किया गया अब ग्रामीणों को दुर्गंध और मच्छरों व बदबू से मिलेगा छुटकारा।